IAS Pooja Khedkar: ट्रेनी आईएएस की लक्जरी ऑडी पुणे पुलिस ने की जब्त, ओबीसी कोटे का उपयोग कर MBBS में भी किया था प्रवेश सुरक्षित

Trainee IAS Pooja Khedkar: ट्रेनी आईएएस की लक्जरी ऑडी पुणे पुलिस ने की जब्त, ओबीसी कोटे का उपयोग कर MBBS में भी किया था प्रवेश सुरक्षितट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर पर चल रही जाँच पर उनके ऊपर लगे कई आरोप सही बताए जा रहे हैं। इसके चलते पुणे पुलिस ने रविवार को आईएएस पूजा खेडकर की लक्जरी कार को भी जब्त कर लिया है।

IAS Pooja Khedkar

ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर आजकल पुणे पुलिस के रडार पर है। उन पर आरोप है कि उन्होंने झूठे विकलांग कोटे और ओबीसी गैर-क्रीमी लेयर कोटे का उपयोग करके यूपीएसी एग्जाम में आईएएस के पद पर सेलक्शन लिया।

जैसे-जैसे उन पर कमीशन की जाँच बैठाई जा रही है, वैसे-वैसे उनके द्वारा सत्ता के कथित दुरुपयोग और आरक्षण कोटा से संबंधित दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करने और भी अपराध सामने आ रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, पूजा ने साल 2007 में पुणे के काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में प्रवेश लेने के लिए ओबीसी घुमंतू जनजाति-3 श्रेणी का आरक्षण लिया था, जो कि वंजारी समुदाय के लिए आरक्षित है।

इसके बाद उन्होंने 2011-2012 में ओबीसी गैर-क्रीमी लेयर श्रेणी के तहत एमबीबीएस बैच में प्रवेश लिया था, जबकि उस समय उनके पिता दिलीप खेडकर, महाराष्ट्र सरकार में एक आईएएस अधिकारी थे।

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अधिकारी तब चर्चा में आई जब उन्होंने पुणे में सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभालने से पहले एक अलग केबिन, आधिकारिक निवास, वाहन और सहायक स्टाफ की मांग की। उन्होंने कथित तौर पर कलक्ट्रेट में अधिकारियों पर अपनी ज्वाइनिंग तिथि से पहले मांगी गई सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए दबाव डाला था, जबकि आम तौर पर एक ट्रेनी अधिकारी को इस प्रकार की कोई सुविधा प्रदान नहीं की जाती है।

इस मामले के बाद उनका तबादला पुणे से वाशिम कर दिया गया था। पुणे जिला कलेक्टर द्वारा मुख्य सचिव को दी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, पुणे में सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभालने से पहले उन्होंने एक अलग केबिन, आधिकारिक निवास, वाहन और सहायक स्टाफ की मांग की थी। उसने पारिवारिक संपत्ति 60 करोड़ रुपये से अधिक है और इसमें से करोड़ों की सम्पत्ति खुद उनके नाम पर है।

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इसके अलावा उन्होंने दृष्टिबाधित होने का दावा कर यूपीएससी भर्ती के लिए विकलांगता कोटे का भी लाभ उठाया है। यहाँ तक कि वह अनिवार्य चिकित्सा परीक्षणों के दौरान भी उपस्थित नहीं हुई थी और इसका कारण कोरोना से पीड़ित होना बताया था। इसकी जगह उन्होंने निजी सुविधा से एमआरआई स्कैनिंग रिपोर्ट प्रदान कर दी थी।

पूजा खेडकर ने अपनी निजी ऑडी पर लाल और नीली बत्ती के अलावा ‘महाराष्ट्र सरकार’ चिन्ह का भी इस्तेमाल किया था, जिसके कारण भी उन्हें आलोचना का शिकार होना पड़ा। हालाँकि अब पुणे पुलिस ने रविवार को उनकी इस लक्जरी कार को जब्त कर लिया है।

केवल राज्य सरकार में सचिव स्तर से ऊपर के शीर्ष अधिकारियों, पुलिस महानिरीक्षक और क्षेत्रीय आयुक्तों के रैंक के पुलिस अधिकारियों को बिना फ्लैशर के एम्बर बीकन का उपयोग करने की अनुमति है, जबकि शीर्ष स्तर के जिला अधिकारी नीली बत्ती का उपयोग करने के हकदार हैं।

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यही नहीं अधिकारी पर चोरी के मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति को रिहा करने के लिए पुलिस उपायुक्त पर दबाव डालकर पुलिस मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करने का भी आरोप है। केंद्र सरकार ने एक सिविल सेवक के रूप में सत्ता के कथित दुरुपयोग के संबंध में पूजा पर लगे आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है और उन्हें दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट जमा कराने की बात कही है।

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